रूहे-शायरी

अपना दिल पेश करूँ या अपनी वफ़ा पेश करूँ ! 
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ !!
जो तेरे दिल को लुभा ले वो अदा मुझमे नहीं ! 
क्यों न तुझको कोई तेरी ही अदा पेश करूँ !!

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