क्या समाजवादी पार्टी के दो फाड़ होंगे ?

क्या समाजवादी पार्टी के दो फाड़ होंगे ? युवा समागम से तय होगी अखिलेश की राह
लखनऊ। समाजवादी पार्टी अब दोफाड़ की तरफ बढ़ रही है। आगामी नौ अक्टूबर को अखिलेश यादव ने युवा समाजवादी समागम बुलाया है जो जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के दफ्तर सात बंदरिया बाग में होगा। यह अखिलेश यादव की राजनीति का नया ठिकाना है। यहीं से अखिलेश यादव की राजनैतिक गतिविधियां शुरू होंगी।
शुरुआत समाजवादी युवा समागम से हो रही है, जिसमें उन नौजवान नेताओं का जमावड़ा होगा, जिन्हें समाजवादी पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
इससे पहले अखिलेश यादव मुलायम सिंह का घर छोड़ अपने लिए आवंटित चार विक्रमादित्य मार्ग पर शिफ्ट करने की तैयारी में हैं।

यह दोनों कदम समाजवादी पार्टी की भावी राजनीति के लिहाज से निर्णायक माने जा रहे हैं।

जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट को अखिलेश यादव की राजनीति का केंद्र बनाया जा रहा है। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं। ट्रस्ट के उपाध्यक्ष कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी इस ट्रस्ट के मुख्य कर्ताधर्ता होंगे।
गौरतलब है कि राजेंद्र चौधरी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद से ही समाजवादी पार्टी मुख्यालय जाना बंद कर चुके हैं।

राजेंद्र चौधरी अब जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के दफ्तर में नियमित बैठेंगे।

दरअसल यह दफ्तर अखिलेश यादव का चुनावी वार रूम होगा। यहीं पर उनकी ब्रांडिंग से संबंधित गतिविधियां संचालित होंगी। ऑडियो, वीडियो से लेकर बैनर पोस्टर तक यहीं तय होंगे। यह अखिलेश यादव की चुनावी राजनीति के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बनने जा रहा है।
दरअसल अखिलेश यादव ने पार्टी पर शिवपाल यादव और अमर सिंह के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए यह फैसला किया है।

शिवपाल यादव के हाल के कई फैसलों से वे नाखुश हैं, पर उनसे उलझने की बजाय और बड़ी लकीर खींचने का फैसला अखिलेश यादव ने किया है।

हाल ही में पूर्वांचल के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी जो मधुमिता हत्याकांड की सजा काट रहे हैं, उनके पुत्र अमन मणि को दोबारा टिकट देने का फैसला इसकी बानगी है। दोबारा पर सवाल इसलिए क्योंकि अब अमनमणि पर अपनी बीबी की हत्या का आरोप है।
पिछले पांच साल में जघन्य अपराध में शामिल लोगों से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने जो दूरी बनाने की रणनीति बनायी थी, उसे पार्टी में हुए बदलाव के बाद ताक पर रख दिया गया है।

माना जा रहा है कि देर सबेर पूर्वांचल के दूसरे बाहुबली मुख्तार अंसारी भी समाजवादी पार्टी से जुड़ सकते हैं।

ऐसे में अखिलेश यादव पर समाजवादी पार्टी के युवा कार्यकतार्ओं का दबाव बढ़ता जा रहा है। इन नौजवान कार्यकर्ताओं का साफ़ कहना है कि दागी लोगों के साथ राजनीति करने से बेहतर है अखिलेश यादव नया रास्ता बनायें।
लखनऊ के कार्यकर्ता सुनील सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव ने पिछले करीब साढ़े चार साल में विकास के काम का नया रिकॉर्ड बनाया है। मेट्रो से लेकर गांव-गांव में समाजवादी स्वास्थ्य सेवा जैसे कई उदाहरण हैं। पहली बार प्रदेश में हजारों तालाब पानी से भर गये तो नदियों की सफाई का काम शुरू हुआ। यह सब उत्तर प्रदेश की राजनीति का नया आयाम है। वे दगे हुए कारतूसों को छोड़ नया दल बनायें। कोई ताकत उन्हें सत्ता में आने से नही रोक सकती।
इस टिप्पणी से पार्टी के अंदरूनी हालात को समझा जा सकता है।
दरअसल पार्टी में एक बड़ा तबका ठेका पट्टी वाला है, तो दूसरी तरफ सड़क के बड़े ठेकों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर खेमेबंदी चल रही है। इसमें नौकरशाह से लेकर नेता तक शामिल हैं। इसी विवाद के चलते अखिलेश यादव के पार्टी गठन के अधिकार में कतरब्योंत की गयी थी। पर पार्टी का नौजवान खेमा अखिलेश यादव के साथ खड़ा हो गया और दागी किस्म के लोग दूसरे खेमे में चले गये। अब पार्टी के बहुत से फैसलों से आहत अखिलेश यादव अपना नया रास्ता बना रहे हैं।
पार्टी में अपने समर्थकों के टिकट काटे जाने पर अखिलेश यादव ने कहा,
जीतता तो वही है जिसके पास ज्यादा ट्रंप कार्ड हों।      
SABHAAR: HASTKSHEP


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