NURAIN FAIZABADI-HAMARA DAAMAN-E-DIL TAAR TAAR MILTA HAI

साहेब  स्मृति  फाउंडेशन की तरफ़ से प्रथम राष्ट्रीय कवि सम्मलेन में शायर जनाब नुरैन फ़ैज़ाबादी अपना कलाम पेश करते हुए :

हमारा दामने दिल तार तार मिलता है । 
बिछड़ते वक़्त वह जब बार बार मिलता है ॥ 

कोई तो हुस्न  यक़ीनन है तेरे चेहरे पर । 
जिसे भी देखो तेरा जा निसार मिलता है ॥ 

यह इल्तिजा है यूँ ही सामने रहो मेरे । 
तुम्हारी दीद से दिल को क़रार मिलता है ॥ 

तुम्हे जो देख के पीता हूँ  सादा पानी मैं । 
शराब से भी ज़्यादा ख़ुमार मिलता है ॥ 

ग़ज़ल में कुछ नहीं छोड़ा मेरे बुज़ुर्गों ने । 
ख़जाना अब तो समंदर के पर मिलता है ॥ 

यह इत्तिफ़ाक़ है या फिर नसीब है नुरैन । 
हर एक राह में मुझको गुबार मिलता है ॥ 


~ नुरैन फ़ैज़ाबादी 




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