साहेब स्मृति फाउंडेशन की तरफ़ से प्रथम राष्ट्रीय कवि सम्मलेन में सुप्रसिद्ध शायर जनाब फ़ारूक़ जायसी अपना कलाम पेश करते हुए :
 
अपने बारे में जो सोचा तो समझ में आया ।
बुलबुला फूटता जो देखा तो समझ में आया ॥
 
वो हैं आकाश में धरती पे भी गिर सकते हैं ।
जब सितारा कोई टूटा तो समझ में आया ॥
 
कैसे हम ख़र्च करें कैसे हम बचा कर रखें ।
अपनी मेहनत से कमाया तो समझ में आया ॥
 
नम हो मिटटी तो किसी शक्ल में ढल सकती है ।
जब इसे चाक में रखा तो समझ में आया ॥
 
कैसे माँ बाप ने पाला था मशक्कत से हमें ।
अपने बच्चों को जो पाला तो समझ में आया ॥
~ फ़ारूक़ जायसी













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