गीत - जीने की बात क्या करूँ । मरने के ढंग देखना ॥ ~ डाक्टर सुरेश

         गीत 
जीने की बात क्या करूँ । 
मरने के ढंग देखना ॥ 

हवा बही बहकी बहकी
सुबह हुई और तरह की 
साँसों में तैरती तपन 
आग अभी दहकी दहकी 
पानी की बात क्या करूँ 
बादल के रंग देखना 
जीने की बात क्या करूँ । 
मरने के ढंग देखना ॥ 

सुख दुःख के अहसासों की 
सपनो की विश्वासों की 
भटकी अंधियारों में राह 
फूलों की मधुमासों की 
चन्दन की बात क्या करूँ 
सापों के संग देखना 
जीने की बात क्या करूँ । 
मरने के ढंग देखना ॥ 

रानी की बात पुरानी 
गाँव नगर सबकी जानी 
जंगली हवाओं की फिर 
सहनी होगी मनमानी 
उड़ने की बात क्या करूँ 
फिर कतई पतंग देखना 
जीने की बात क्या करूँ । 
मरने के ढंग देखना ॥ 
~ डाक्टर सुरेश 

Comments

Popular posts from this blog

GHAZAL LYRIC- झील सी ऑंखें शोख अदाएं - शायर: जौहर कानपुरी

Ye Kahan Aa Gaye Hum_Lyric_Film Silsila_Singer Lata Ji & Amitabh ji

SUFI_ NAMAN KARU MAIN GURU CHARNAN KI_HAZRAT MANZUR ALAM SHAH