साहेब स्मृति फाउंडेशन- प्रथम राष्ट्रीय कवि सम्मलेन 15.10.2016-शायर के. के. सिंह "मयंक" अपना कलाम पेश करते हुए
साहेब स्मृति फाउंडेशन की
तरफ़ से प्रथम राष्ट्रीय कवि सम्मलेन एवं मुशायरे में दिनांक 15.10.2016 को सुप्रसिद्ध शायर जनाब के. के. सिंह "मयंक"
अपना कलाम पेश करते हुए :-
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ख़ामोश समंदर ठहरी हवा तूफां
की निशानी होती है !
डर और ज़ियादा लगता है जब
नाव पुरानी होती है !!
अनमोल बुज़ुर्गों की बातें, अनमोल बुज़ुर्गों का साया !
उस चीज़ की क़ीमत मत पूछो जो
चीज़ पुराणी होती है !!
~ के. के. सिंह मयंक
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क्या कहा तुमने अंधेरों को
मिटाना छोड़ दें !
आँधियों के ख़ौफ़ से दीपक
जलाना छोड़ दें !!
फ़र्ज़ जो अपना है क्या उसको
निभाना छोड़ दें !
चार दिन की ज़िन्दगी है
मुस्कराना छोड़ दें !!
~ के. के. सिंह मयंक
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हर ख़ुशी पे छा गए ग़म, आप के जाने के बाद !
कितने तन्हा हो गए हम, आपके जाने के बाद !!
आपकी फुरक़त की घड़ियाँ काटती
कटती नहीं !
वक़्त की रफ़्तार है कम, आपके जाने के बाद !!
~ के. के. सिंह मयंक
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समंदर को लहर नदिया को धारा
कौन देता है !
भंवर में नाख़ुदा हो तो
किनारा कौन देता है !!
ये तेरी शान-ए-रहमत है
वगरना तेरी दुनिया में !
सहारा देने वालों को इशारा
कौन देता है !!
~ के. के. सिंह मयंक
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