सीएसए यूनिवर्सिटी के कुलपति पर गिरी गाज, नियुक्ति के लिए मांग रहे थे घूस
सीएसए यूनिवर्सिटी के कुलपति पर गिरी गाज, नियुक्ति के लिए मांग रहे थे घूस
नियुक्ति के बदले घूस मांगने वाले कानपुर की चर्चित सीएसए
यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे प्रो. मुन्ना सिंह पर गाज गिर गई है।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम
नाईक ने चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (सीएसएएटीयू), कानपुर के निलंबित कुलपति
प्रो. मुन्ना की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं। प्रो. मुन्ना सिंह के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीशों न्यायमूर्ति वी.डी. चतुर्वेदी तथा न्यायमूर्ति वी.सी. गुप्ता की अध्यक्षता में गठित की गई दो अलग-अलग जांच कमेटियों की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्यपाल ने मंगलवार को प्रो. मुन्ना सिंह की सेवाएं समाप्त करने संबंधी आदेश जारी किया।
प्रो. मुन्ना सिंह को 23 अक्तूबर 2013 को सीएसएएटीयू का कुलपति नियुक्त किया गया था। इससे पूर्व वह लखनऊ विवि के वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त थे। प्रो. सिंह पर सीएसएएटीयू के कुलपति पद पर रहते 2014 में विभिन्न संवर्गों के शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियों में अनियमितताओं के आरोप लगे थे। नियुक्तियों को प्रबंध परिषद के अनुमोदन से पहले ही 75 शिक्षकों, कर्मचारियों और कु छ सांसदों ने प्रो. मुन्ना सिंह के खिलाफ राज्यपाल को इस बाबत शिकायतें भेजीं थीं। आरोप लगाया गया था कि निर्धारित मानकों को जानबूझकर कम कर दिया गया है और कई प्रकार से भ्रष्टाचार किया गया है। सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाले एक अभ्यर्थी से प्रो. सिंह की पत्नी वीना सिंह द्वारा टेलीफोन पर 10 लाख रुपये की मांग की गई। इस बातचीत को अभ्यर्थी ने रिकार्ड कर लिया था और उसकी सीडी कुलाधिपति को शिकायती पत्र के साथ सौंपी थी। कुलाधिपति के आदेशों की अवहेलना संबंधी जांच के लिए राज्यपाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी.सी. गुप्ता को जांच अधिकारी नामित करते हुए एक नई अंतिम जांच बैठाई गयी जिसमें जांच के बाद वह दोषी पाए
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