GHAZAL-HAMARA DAAMNE DIL TAAR TAAR MILTA HAI - NURAIN FAIZABADI
हमारा दामने दिल तार तार
मिलता है ।
बिछड़ते वक़्त वह जब बार बार
मिलता है ॥
कोई तो हुस्न यक़ीनन है तेरे चेहरे पर ।
जिसे भी देखो तेरा जा निसार
मिलता है ॥
यह इल्तिजा है यूँ ही सामने
रहो मेरे ।
तुम्हारी दीद से दिल को
क़रार मिलता है ॥
तुम्हे जो देख के पीता
हूँ सादा पानी मैं ।
शराब से भी ज़्यादा ख़ुमार
मिलता है ॥
ग़ज़ल में कुछ नहीं छोड़ा मेरे
बुज़ुर्गों ने ।
ख़जाना अब तो समंदर के पर
मिलता है ॥
यह इत्तिफ़ाक़ है या फिर नसीब
है नुरैन ।
हर एक राह में मुझको गुबार
मिलता है ॥
~ नुरैन फ़ैज़ाबादी
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