GHAZAL-रखकर अपनी आँख में कुछ अर्ज़ियाँ तुम देखना-गुलशन मदान
रखकर अपनी आँख में कुछ अर्ज़ियाँ तुम देखना
बस मिलेंगीं कागज़ी हमदर्दियां तुम देखना
बस मिलेंगीं कागज़ी हमदर्दियां तुम देखना
हादसों के ख़ौफ़ से लब पे हैं जो फैली हुई
एक दिन टूटेंगी सब खामोशियाँ तुम देखना
एक दिन टूटेंगी सब खामोशियाँ तुम देखना
स्याह काले हाशियों के बीच होगा फिर लहू
सुबह के अख़बार की कल सुर्खियां तुम देखना
सुबह के अख़बार की कल सुर्खियां तुम देखना
राज़ सब दीवारो-दर के खुद बखुद खुल जाएंगे
बस ज़रा सा ग़ौर से वो खिड़कियाँ तुम देखना
बस ज़रा सा ग़ौर से वो खिड़कियाँ तुम देखना
हाथ जो फ़ैले हुए है अपने हक़ के वास्ते
एक दिन बन जायेंगे सब मुट्ठियाँ तुम देखना
एक दिन बन जायेंगे सब मुट्ठियाँ तुम देखना
आस्मां तक ले के जाएंगी तुम्हें ये खूबियाँ
शर्त है 'गुलशन' कि अपनी ख़ामियाँ तुम देखना
शर्त है 'गुलशन' कि अपनी ख़ामियाँ तुम देखना
~ गुलशन मदान
गुलशन मदान
सम्प्रति: भारतीय स्टेट बैंक
संग्रह: ६ ग़ज़ल सन्ग्रह ,३ कहानी संग्रह,२ बालगीत संग्रह,१ उपन्यास संग्रह ,१ दोहा संग्रह, १ हास्य संग्रह, १ लघु कथा संग्रह, २ हिंदी काव्यानुवाद संग्रह, कुल उन्नतीस पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं ।
आकाशवाणी से मान्यता प्राप्त शायर व कवी
म्यूज़िकल एलबम: भूपेंद्र मिताली
सम्मान: हरियाणा साहित्य अकादमी सम्मान आदि
Comments
Post a Comment