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Showing posts from May, 2020

AARTI KUNJ BIHARI KI - आरती कुंज बिहारी की - LYRIC

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आरती कुंज बिहारी की      श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की } - 2 = = = = गले मे बैजंतीमाला बजावै मुरली मधुर बाला श्रवण मे कुंडल झलकाला नन्द के आनंद नन्द लाला गगन संग अंग कान्ति काली राधिका चमक रही आली लतन मे ठाढ़े बन माली भ्रमर सी अ लक , कस्तूरी तिलक चंद्र सी झलक ललित छवि श्यामा प्यारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंज बिहारी की   श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की } - 2 = = = = कनक मय मोर मुकुट बिलसे देवता दर्शन को तरसे गगन सों सुमन रा सि बरसे बजे मुरचंग , मधुर मिरदंग ग्वालनी संग अतुल रति गोप कुमारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की }-2 = = = = जहां ते प्रगट भई गंगा सकल म ल हारिणी श्री गंगा स्मरन ते होत मोह भगा बसी शिव शीश , जटा के बीच हरै अघ कीच चरण छवि श्री बनवारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की }-2 = = = = चमकती उज्ज्वल तट रेनू बज रही व्रंदावन धेनु चहुं दिस गोपी ग्वाल धेनु हंसत मृदु मंद चाँदनी चंद कटत भव   फंद ट

ROOH-E-SHAYARI - आज के 21 शेर

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1 ए सुबह तुम जब भी आना , सब के लिए बस खुशियाँ लाना , हर चेहरे पर हंसी   सजाना , हर आँगन में फूल खिलाना 2 उफ़ परेशान ग़म के मारे लोग , दरबदर फिर रहें हैं सारे लोग । शर्म अब भी नहीं है कहते हो , ये हमारे हैं वो तुम्हारे लोग । - एजाज़ उल हक़ "शिहाब" 3 काश मिल जाय हमें कोई कोई  मनाने वाला रूठ जाने का मज़ा  हम भी उठायें   इक दिन - असद अजमेरी 4 दुख की तपती दोपहरी के बाद मिलेगी ठण्डक भी यह विश्वास दिला जाते हैं ये दीवारों के साये - दरवेश भारती 5 आदतन यूँ सोचता है हर कोई उसके साये से नहीं बेह्तर कोई - डॉ. दरवेश भारती 6 करके दिखा दिया है जो ' दरवेश ' प्यार ने वो काम काइनात में दौलत न कर सकी - डॉ दरवेश भारती 7 वो ऊपर उठने की कोशिश करे हज़ार भले ज़मीं , ज़मीं है रहेगी ये आसमां के तले - डा  दरवेश भारती 8 जो छाँव औरों को दे ख़ुद कड़कती धूप सहे किसी किसी को ख़ुदा यह कमाल देता है - डा दरवेश भारती 9   निखरते हैं वही कुंदन की तरह जीवन में जो जिद्दो-जहद की भट्टी में तपते रहते हैं

Ghazal Teri Tasveer Se Baat Ki Raat Bhar- Lyric- Safalt Saroj- Singer- P...

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सुविख्यात कवियत्री सुश्री सफलता सरोज जो मेरी फेसबुक मित्र भी हैं की इस ग़ज़ल को धुन मे बांधने की कोशिश की है | सिर्फ़ हारमोनियम पर इसे पेश कर रहा हूँ ! कहाँ तक सफल हुआ ये आपकी दुआओं पर निर्भर है ग़ज़ल तेरी तस्वीर से बात की रातभर , खुद में खोई रही खुद से हो बेख़बर । मैं रहूँ न रहूँ , तुम रहो मुझमें ही , दिल ने चाहा तुम्हें टूटकर इस कदर । - सफ़लता सरोज https://youtu.be/pn7EUjL87bw

ROOH-E-SHAYARI आज के 21 शेर

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1 लफ्ज़-ए-तसल्ली तो एक तक़ल्लुफ़ है दोस्तों , जिसका दर्द , उसी का दर्द , बाक़ी सब तमाशाई - - - - 2 सावन की बूंदों में झलकती है उनकी तस्वीर , आज फिर भीग बैठे हैं उन्हें पाने की चाहत में। - - - - 3 निगाहें नाज़   करती हैं फलक के आशियाने से ! ख़ुदा भी रुठ जाता है किसी का दिल दुखाने से । - - - - 4 हमने भी मुआवज़े की अर्जी डाली है साहिब , उनकी यादों की बारिश ने खूब तबाह किया है भीतर तक - - - -  5 चाहत है या दिल्लगी या यूँ ही मन भरमाया है , याद करोगे तुम भी कभी किससे दिल लगाया है। 6 मेरी गुस्ताखियों को आप माफ़ करना दोस्तों , मै आपको  आपकी  इजाजत के बिना भी याद करता हूँ 7 कुछ इस अदा से सुनाना हाल-ए-दिल हमारा उसे ! वो खुद ही   कह दे किसी को भूल जाना बुरी बात है !! 8 याद आई वो पहली बारिश , जब तुझे एक नज़र देखा था - नासिर काज़मी 9 अल्फाज सिर्फ तकलीफ देते हैं , खामोशियां जान ले लेती है 10 खुल सकती हैं गाँठें , बस जरा से जतन से ! मगर लोग कैंचियाँ चला कर , सारा फ़साना ही बदल देते हैं !! 11 कह