ROOH-E-SHAYARI
ज़िंदगी में वो बात कहाँ !!
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इस चमन की मुस्काती हर एक जवानी ज़िंदाबाद !
इन नयनों को मदमाती हर एक कहानी ज़िन्दाबाद !!
देख जिसे भँवरे भूल रहे अपना गुंजन करना !
दुर्दिन मे भी खिलती ऐसी रवानी ज़िन्दाबाद !!
- राजेश
गुप्ता 'बादल'
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मेरी गुस्ताखियों को तुम माफ़ करना ऐ दोस्त,
मै तुम्हें तुम्हारी इजाजत के बिना भी याद करता हूँ !
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मतलबी हम थे जो उन्हें क्या-क्या समझ बैठे
वो तो सिर्फ वक्त बिता रहे थे और हम प्यार समझ बैठे
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मिलावट है तेरे हुस्न में इत्र और शराब की
तभी थोड़ा महका हूं थोड़ा बहका हूं
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तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत नहीं गालिब
कौन होश मे रह पाता है, तुझे दखने के बाद ।
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बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
- जौन
एलिया
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पाँव हौले से रख कश्ती से उतरने वाले,
जिंदगी अक्सर किनारों से ही खिसका करती
है !
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इश्क़ में जिसने भी बुरा हाल बना रखा है !
वही कहता है अजी इश्क़ में रखा क्या है !!
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दिल में वो भीड़ है कि ज़रा भी नहीं जगह
आप आइए मगर कोई अरमाँ निकाल के
- जलील
मानिकपूरी
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जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है
संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रक्खा है
पत्थरो आज मिरे सर पे बरसते क्यूँ हो
मैं ने तुम को भी कभी अपना ख़ुदा रक्खा है
- हकीम
नासिर
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जिसे "मैं" की हवा लगी,
उसे न दवा लगी ना दुआ लगी
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अपनी शख्शियत की क्या मिसाल दूँ यारों
ना जाने कितने मशहूर हो गये मुझे बदनाम करते करते
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सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
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क्या पता रिश्ते पुराने झांकना चाहें कभी
यही सोच कर कुछ दरारें छोड दीं दीवार मे
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मीठी यादों के साथ गिर रहा था
पता नहीं क्यों फिर भी वह आँसू खारा
था..
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