GHAZAL - TUMHARI ANJUMAN SE UTH KAR - QATEEL SHIFAI - तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते ।
TUMHARI ANJUMAN SE UTH KAR
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते ।
जो वाबस्ता हुए तुमसे वो अफ़साने कहाँ जाते ।।
निकलकर दैरो काबा से अगर मिलता न मैख़ाना,
तो ठुकराये हुये इन्सां ख़ुदा जाने कहाँ जाते ।
तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की,
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते ।
चलो अच्छा हुआ, काम आ गयी दीवानगी अपनी,
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते ।
क़तील अपना मुक़द्दर ग़म से बेगाना अगर होता,
तो फिर अपने पराये हमसे पहचाने कहाँ जाते
- क़तील शिफाई
SINGER - CHITRA SINGH
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