SUFI KALAM - DUM DUM HARI KIRPA KARE - HAZRAT MANZOOR AALAM SHAH
दम दम हरी किरपा करी, मौला अली दुःख दारुनम
जग सरवरी बखियागरी, तुझसा नहीं देखा करम
मुख्य चन्द्रनम मृग लोचनम, माधव सदा सुखदा परम
वह रूप में उस नाथ के, हम दीन के भय भंजनम
सर्वोपरि चारागरी, बरसी घटा रहमत भरी
ताजेशही सर पर धरे मौला अली भव तारुनम
मुश्किल कुशा जो हो दया जी जाएगा बंदा तेरा
भगवान् दीन अनाथ के, हे दीनबन्धु शतशत नवम
शक्ति महा दानी महा, महिमा तेरी क्या हो बयां
मौला मेरी विनती सुनो, रखना सदा रहमोकरम
- हज़रत मंज़ूर आलम शाह
'कलंदर मौजशाही'
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