ROOH-E-SHAYARI
ईद आई, आप ना आए, क्या मजा ईद का /
ईद ही तो नाम है इक दूसरे की दीद का //
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मिल के होती थी कभी ईद भी दीवाली भी
अब ये हालत है कि डर डर के गले मिलते हैं
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मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है
कि ये आँसू बहाने की भी तो मोहलत नहीं देते...
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कोई तो जुर्म था जिसमें सभी शामिल थे ,
तभी तो हर शख्स मुंह छिपाये फिर रहा है ।
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तुझ को मेरी न मुझे तेरी ख़बर जाएगी
ईद अब के भी दबे पाँव गुज़र जाएगी
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अपनी कमजोरियो का जिक्र कभी न करना जमाने में...
लोग कटी पतंग को जम कर लुटा करते है...!!
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फ़िक्र में रहोगे तो खुद जलोगे,
बेफिक्र रहोगे तो दुनिया जलेगी ..!
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हर रात को तुम इतना याद आती हो की हम भूल गए हैं
यें रातें ख्वाबों के लिए होती है या तुम्हारी यादों के लिए
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हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें,
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं !
- साहिर
लुधियानवी
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इश्क करना है तो रात की तरह करो
जिसे चाँद भी कुबूल हो और उसका दाग भी कुबूल हो
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जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी है, जो
मुसाफिर थे
वो रास नहीं आये, जिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये !!
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दुश्मनो को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी !
मैं हाथ नहीं उठता बस नज़रों से गिरा देता हूँ !!
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कुछ को हक़ीक़त कुछ को ख़्वाब करना है !
बहुत से लोग हैं जिनका हिसाब करना है !!
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किस ज़रूरत के भला पेश ए नज़र खोल दिए,
क़ैद चिड़ियों को रखा बाज़ के पर खोल दिए ।
ऐ ख़ुदा मंदिर ओ मस्जिद में लगाकर ताले,
आज सरकार ने मयखानों के दर खोल दिए ।
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अभी भी कुछ है, अच्छे इंसान इस दुनिया में
लेकिन उससे कहीं ज्यादा बुरे हैं, अच्छे
के लिबास में
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किसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ यारों
जिंदगी कभी मौका देती है तो कभी धोखा भी देती
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यूँ शक न किया करो मेरी मोहब्बत पे !
तुम्हारे बिना भी हम तुम्हारे ही रहते हैं
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उसने कहा बिखरे बिखरे से लगते हो तुम
मैने कहा खुशबू हूँ बिखरना रवायत है मेरी
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संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है !
इक धुंध से आना है इक धुंध में जाना है !!
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आप के बा'द हर घड़ी हम ने l
आप के साथ ही गुज़ारी है ll
गुलज़ार.
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कितने चेहरों से उतर गए आज मुफ़लिसी के नकाब,
कल जो चीख रहे थे रोटी को आज खरीद रहे हैं शराब.
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खुद को मेरे दिल में ही छोड़ दिया..
तुम्हे तो ठीक से बिछड़ना भी नहीं आता..
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याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ !
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है !!
- जमाल
एहसानी
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कुदरत के फैसले पर कभी शक मत करना
अगर सजा मिल रही है तो गुनाह भी हुआ होगा l
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अगर सजा मिल रही है तो गुनाह भी हुआ होगा l
कुछ लोगों की रोज़ी रोटी झूठ के दम पर चलती है,
झूठ ना बोलें झूठ ना
लिख्खें तो बेचारे मर जाएं !
- असद
अजमेरी
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जिंदगी में ख़ामोशियां ही बेहतर हैं
अक्सर शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं
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खुदखुशी करने से मुझे कोई परहेज नही है !
बस शत॔ ईतनी है कि फंदा तेरी जुल्फों का हो !!
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भले ही दिमाग को खूब पढ़ाना लिखाना,
लेकिन दिल को हमेशा अनपढ़ ही रखना !
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ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम
रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है
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ईद का चाँद तुम ने देख लिया
चाँद की ईद हो गई होगी
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लगता है मुझे" ग़ैर सा
बरताव तुम्हारा
पास आओ गले लग के कहो ईद मुबारक़
असद अजमेरी
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आज ईद में यह मुनादी कराई जाए /
गले नहीं, अब दिल मिलाए जाए //
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हम उसी के बन्दे आशू राम कह या कह रहीम !
सोच ऐसी हो तो दुनिया जगमगा दी जाएंगी !!
- आशुतोष पाल ( आशू )
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दर्द थम जाएगा, ज़ख़्म भर जाएगा,
वक़्त अच्छा-बुरा सब गुज़र जाएगा !
जाना चाहे अगर वो तो जाने दे तू,
वो है तेरा तो फ़िर लौटकर आएगा !
- अल्फ़ाज़
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