ROOH-E-SHAYARI - आज के 21 शेर - TODAY'S 21 SHER
सुप्रभात,
गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें
यूं ही मुसाफिरों की तरह,
यादें वहीं खडी रह जाती हैं रूके
रास्तों की तरह ।
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2
जहाँ से हम मोड़ मुड़ गए थे
वो मोड़ अब भी वहीं पड़े हैं
3
मैं अगर सच बोल दूँ तो टूट जाएगा अभी
आज हर रिश्ता टिका है झूठ की बुनियाद पर
- असद अजमेरी
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4
वो
दोस्त उम्र भर क्या साथ देंगे जिन्होने..
चौराहे
पर पुलिस देखकर बाइक से उतार दिया
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05
मेरी
आँखों में बहने वाला ये आवारा सा आसूँ
पूछ
रहा है.. पलकों से तेरी बेवफाई की वजह..
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06
दोस्तों
की महफ़िल सजे ज़माना हो गया,
लगता
है जैसे खुल के जिए एक ज़माना हो गया ।
काश
कहीं मिल जाए वो काफिला दोस्तों का,
ज़िंदगी
जिये एक ज़माना हो गया ।
07
ख़ौफ़
ने सड़कों को वीरान कर दिया,
वक़्त
ने ज़िंदगी को हैरान कर दिया,
काम
के बोझ से दबे हर इंसान को,
आराम
के अहसास ने परेशान कर दिया...
08
ख़ुदा
करे कि वो मेरा नसीब हो जाये !
वो
जितना दूर है उतना क़रीब हो जाये !!
तू
चूमती है ऐ बादे सबा बदन उनका !
तेरी
तरह से ही मेरा नसीब हो जाए !!
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09
बढ़ने
लगे जिना के जो दुनिया में वाक़ियात !
ऐसा
किया ख़ुदा ने कि ख़ुद ही सम्हल गए !!
इज़्ज़त
करो, करो ना करो, लेकिन
जान लो !
औरत
के दिन तो अपने ही आप ही बदल गए !!
~
हफ़ीज़ बिन अज़ीज़
(जिना- बलात्कार, वाक़ियात-घटना )
10
Zindgi swarne ko toh zindgi padi hai
Is
lahme ko swaar lo Jahan zindgi khadi hai
ज़िंदगी
सँवारने को तो ज़िंदगी पड़ी है !
इस
लम्हे को संवार लो जिंदगी खड़ी है !!
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11
ग़म
लिया दिल के एवज तुम पे भरोसा करके
क्या
मिला तुमको ख़रीदार से धोखा करके
12
शायद
यह जमाना उन्हें भी पूजने लगे
कुछ
लोग इसी ख्याल से पत्थर के होने लगे
13
उन्हीं
यादों को सहेजना है जो आंखों में चमक ला दे
उन्हें
नहीं जो चेहरे पर शिकन ला दे
14
कुछ
अपने है, इसलिये चुप है;
कुछ
चुप है, इसलिये अपने है।
15
यू
तो है जिंदगी तेरे सफर मैं शिकायते बहुत थी
मगर
दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे तो कतारें बहुत थी
-
गुलजार साहब
16
कहानी
ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई !
कि
लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए !!
-रहमान फ़ारिस
17
कोई
तो जुर्म था जिस में सब थे शामिल
तभी
तो हर शख्समुँह छुपाए फिर रहा है..!
18
आनलाइन
कवि तो करें कविता रोज़ प्रेजेंट
आॅनलाइन मिलता मगर कहीं नहीं पेमेंट-
डॉ.
कमलेश द्विवेदी
19
लाकडाउन
मे मिल जाता है लाइक और कमेंट।
कवि
के लिए तो ये ही है ,सबसे बड़ा पेमेंट।।
20
जो
कुछ भी है इंसानों के वोटों की है क़ीमत
इंसानों
की क़ीमत तो यहाँ कुछ भी नहीं है
~
धर्मेन्द्र श्रीवास्तव
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21
रहने
को सदा दहर में आता नहीं कोई
जैसे
मैं गया ऐसे भी जाता नहीं कोई ।
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