सूफी कलाम - देखा है नज़र भर के जो रूप सांवरिया मां - हुज़ूर साहब


देखा है नज़र भर के जो रूप सांवरिया मां |
हम कईसे बताई है, का हमरी नजरिया मां ||
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अब और कहीं क्या है कुछ याद नहीं आता,
तुम ऐसे बसे मोहन रस  भीगी चुनरिया  मां ||
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दरसन के बरे पंचों हम पहुंचे तो ई देखा |
इक नूर बिराजत है उस उंची अटरिया मां ||
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देखी है झलक जब से उस श्याम सांवरिया की |
व्याकुल है जिया तब से इस बीच बजरिया मां ||
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भूले न कभी माधो उतरे न कभी चित से |
हम तुमसे बताई का जादू है बाँसुरिया मां ||
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- हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
कानपुर

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