ROOH-E-SHAYARI



देखिए यूँ ना हमें, ज़रा निगाहें झुका लीजिए /
हम बदनाम होंगे, यूँ तो हम नशा नहीं करते //
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हर बार हमपर इलज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का !

कभी ख़ुद से भी पूछा है कि इतने हसीं क्यों हो ?
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आसान नहीं है हमसे यूँ शायरी में जीत पाना !

हम हर एक लफ्ज़ मोहब्बत में हार कर लिखते हैं !!
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इज़हारे मोहब्बत पे अजब हाल है उनका !

ऑंखें तो रज़ामंद हैं लब सोच रहे हैं !!
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मत पूछो कि कैसे गुजर रही है जिंदगी

उस दौर से गुजर रहा हूँ जो गुजरता ही नही
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जाम इतना भी ना सराबोर कर मेरे यार
पैमाना डूब जाये और मैं तरोताज़ा दिखूं
जरा हौले से तामील हो, तेरे स्पर्श से मुझे भी,

बहकने का बहाना तो मिल सके।
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गुनगुनाना तो तकदीर में लिखा के लाए थे,

खिलखिलाना आप जैसे लोगों ने तोहफे में दे दिया.
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दिया है दिल अगर उसको बसर है क्या कहिये

कि बिन कहे ही उन्हें सब खबर है क्या कहिये
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भूक ने घर  के चुने थे  रास्ते !

रास्ते में मौत थी भूकी खड़ी !
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दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई,

हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए 
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हमने एक उम्र गुजार दी तेरी चाहत में
कितने खुश होंगे तुझे मुफ्त में पाने वाले

गुलज़ार
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0नुक्स निकालते हैं लोग इस कदर हम में
जैसे उन्हें खुदा चाहिए था और हम इंसान निकले
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यू तो मुंबई शहर में, परेशानी कुछ खास नहीं

लोग खामोश है पर सुकून किसी के पास नहीं
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बहुत भीड़ है मोहब्बत के शहर दिल्ली में

एक बार जो बिछड़ा, वापस नहीं मिलता
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शहर कानपुर का अंदाज अजब देखा यारों

गूंगे से कहा जाता है कि बहरो  को पुकारो
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आँख खुलते ही याद आ जाता है तेरा चेहरा /

दिन की ये पहली खुशी कमाल होती है // 
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