SUFI KALAM - AYE JALWA-E-JANANAA TERI KHAIR TERI KHAIR - Hazrat Manzoor Aalam Shah 'Kalandar Muajshahi'
AYE JALWA-E-JANANAA TERI KHAIR TERI KHAIR
ए जल्व-ए-जानाना तेरी ख़ैर तेरी ख़ैर |
ए जज्बे फ़कीराना तेरी ख़ैर तेरी ख़ैर ||
हर रंग में वो जलवा कि बस देख के रह जाये |
ए दिलबर मस्ताना तेरी ख़ैर तेरी ख़ैर ||
उस दर से है निस्बत तो ये सर भी है सलामत
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संगे दरे जानाना तेरी ख़ैर तेरी ख़ैर ||
बेकस कि नज़र तेरी तरफ लम्हा बा लम्हा |
माँगा करे दीवाना तेरी ख़ैर
तेरी ख़ैर ||
मैं डूब गया ता बा क़दम भूलूंगा कैसे |
ए रंगे परीखाना तेरी ख़ैर तेरी
ख़ैर ||
मैखाने में जो कुछ है सब अहसान है तेरा |
ये जाम ये पैमाना तेरी ख़ैर तेरी ख़ैर ||
~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम
Jai ho
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