ROOH-E-SHAYARI



दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई,
हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए ।
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इश्क़ न हुआ कोहरा हो जैसे !

तुम्हारे सिवा कुछ दिखता ही नहीं !!
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तू कैसा जज्बा है, ये अब इश्क-ए-खुदा जाने,


जिसने ढूंढा तेरा पता, वो खुद लापता हो गया ।
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पाबन्द रखना अपनी नजर कान जुबां को.


महज पेट की पाबन्दी से रोज़ा नहीं होता.
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यह नज़रिया है आजकल सबका,


खूबियाँ मेरी खामियाँ उसकी !
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चलते तो हैं वो साथ मेरे पर अंदाज़ देखिए !


जैसे कि इश्क़ करके वो एहसान कर रहे हैं !!
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तन्हाई में फ़रियाद तो कर सकता हूँ,


वीराने को आबाद तो कर सकता हूँ !

जब चाहूँ तुम्हे मिल नहीं सकता लेकिन,
जब चाहूँ तुम्हे याद तो कर सकता हूँ !!
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रोजे नमाजे और कुरान,


अल्लाह तेरा है एहसान,

तूने बढ़ा दी सब की शान,
आया है बन के मेहमान..
नूरे रमजान  नूरे रमजान.
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दिल ये मेरा तुमसे प्यार करना चाहता है,


अपनी मोहब्बत का इज़हार करना चाहता है,

देखा है जबसे तुम्हे ऐ मेरे सनम,
सिर्फ तुम्हारा ही दीदार करने को दिल चाहता है
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आप ठोकरें खाकर भी नहीं गिरते तो,


समझ ले किसी की दुआओं का असर है।
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ये राहें ले ही जाएंगी, मंज़िल तक हौसला रख,


 कभी सुना है कि अंधेरे ने सवेरा होने नहीं दिया
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जो रोशनी में खड़े हैं वो  जानते ही नहीं,
हवा चले  तो चिरागों की जिंदगी क्या है
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