GHAZAL - USKI ANKHON SE JAAM PEENE KA - RAUNAQ KANPURI
ग़ज़ल
उसकी आँखों से जाम पीने का ।
बस यही काम है करीने का ॥
तेरी आँखों के एक इशारे से ।
हौसला मिल रहा है जीने का ॥
रोक लो अपनी मस्त नज़रों को
दर्द बढ़ने लगा है सीने का ॥
रात दिन तुमको देखा करता हूँ ।
यह तरीका है अपने जीने का ॥
घर की रौनक़ उसी से है रौनक़ ।
लुत्फ़ छीना है जिसने पीने का ॥
* * *
प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक़ कानपुरी'
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