ROOH-E-SHAYARI


तोड़ कर जोड़ लो चाहे, हर चीज दुनिया की,

 सब कुछ काबिल-ये-मरम्मत है, एतबार के सिवा l

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पर्दा किया है आज किसी ने शबाब में !

जी चाहता हूँ आग लगा दूँ नक़ाब में !!
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कुछ दर्द बना ही रहना चाहिए जनाब

जिंदा रहने का अहसास बना रहता है
गुलजार साहब
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जाने किस तरह से छूते हैं, के अब लोग  बीमार हुए जा रहे हैं

उसने नजरों से छुआ था जब, हमें तो इश़्क हुआ था l
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भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है,

और अगर दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाती है l
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सीखा जाता है हर हुनर किसी न किसी उस्ताद से,

मगर जिन्दगी के सबक तो जमाने की ठोकरें ही देती है !
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भरोसा क्या करना गैरों पर,

 जब गिरना और चलना अपने पैरों पर l
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सजते दिल मे तराने बहुत है, ज़िंदगी जीने के बहाने बहुत है,

आप सदा मुस्कुराते रहिये,आपकी मुस्कुराहट के दीवाने बहुत है
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