ROOH-E-SHAYARI
रौनके धमक उठती है
नूर फैल जाता है,
जब आप जैसा कोई महफिल में आता है
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मेरी तङप,तो कुछ भी नही है,.
सुना है,उसके दीदार के लिए आईने तरसते है
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ज़रा संभल के
गले से लगाइये मुझको,
कई जगह से मै टूटा हूँ चुभ ना जाऊं कहीं
- असद
अजमेरी
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तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन,
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था !
- असरार-उल-हक़
मजाज़
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कुछ यूँ है रिश्तों का विस्तार..
जितना जिससे मतलब, उतना उससे प्यार
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था कोई जो मेरे दिल को जख्म दे गया
जिंदगी भर रोने की
कसम दे गया
लाखों फूलों में एक
फूल चुना था मैंने
जो कांटों से बड़ा
जख्म दे गया
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अजीब कर दिए यह रिश्ते इन हालातों ने,
जब फुर्सत दी तो मुलाकातों में फासले कर दिए
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कोई शक नहीं, न शुभा, सब सच कहा है आपने,
दूरियां चली हैं आज नज़दीकियां को मापने,
हम तो सदा हैं आपके,सच रखना न कोई वहम,
कोना दिल का उठाओ, वहीं पे मुस्कुराते मिल जाएंगे हम।
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ना पीने का शौक था ना पिलाने का शौक था
हमें तो सिर्फ नजर
मिलाने का शौक था
पर क्या करें यारों, नजर भी उनसे मिला बैठे
जिन्हे सिर्फ नजरों
से पिलाने का शौक था
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सांस रुक जाती थी लेकिन दुनिया चलती रहती थी,
आज दुनिया रुक गई है ताकि सांसे चलती रहें।
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किसी से भी कभी
डरता नही मैं
दिलो में नफ़रतें
भरता नही मैं
कभी पहले पहल
आँखे लड़ी थी,
मगर अब इश्क
में मरता नहीं मैं !
- लक्ष्मण दावानी
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एक टहनी में चांद छुपा था,
मैं समझा तुम बैठी हो
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थी इक नई जलन सी, जब ख़त जला पुराना,
लपटों में दिख रहा था, गुज़रा हुआ ज़माना !
- अल्फ़ाज़
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तमाम लोग ज़मीं पर अज़ल से आये गए,
किसी किसी का ज़माने में नाम चलता है,
- अक्स
वारसी,
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महफिल में जो हमें दाद देने में कतराते हैं,
सुना है तन्हाइयों में वे मेरी शायरी गुनगुनाते हैं
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तूने भी तो हरजाई ये कैसी अदा पाई ।
दिल उनका वहां धड़का, आवाज़ यहां आई ।
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