AARTI KUNJ BIHARI KI - आरती कुंज बिहारी की - LYRIC


आरती कुंज बिहारी की
     श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की } - 2
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गले मे बैजंतीमाला
बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण मे कुंडल झलकाला
नन्द के आनंद नन्द लाला
गगन संग अंग कान्ति काली
राधिका चमक रही आली
लतन मे ठाढ़े बन माली
भ्रमर सी लक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
  श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की } - 2
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कनक मय मोर मुकुट बिलसे
देवता दर्शन को तरसे
गगन सों सुमन रासि बरसे
बजे मुरचंग , मधुर मिरदंग
ग्वालनी संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की }-2
= = = =
जहां ते प्रगट भई गंगा
सकल म हारिणी श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भगा
बसी शिव शीश, जटा के बीच
हरै अघ कीच
चरण छवि श्री बनवारी की
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की }-2
= = = =
चमकती उज्ज्वल तट रेनू
बज रही व्रंदावन धेनु
चहुं दिस गोपी ग्वाल धेनु
हंसत मृदु मंद
चाँदनी चंद
कटत भव  फंद
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की
कोरस
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की

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