SUFI QALAM - AAJ HAI MAHFIL DEED KE QAABILआज है महफ़िल दीद के क़ाबिल शमां भी है परवाना भी-~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'


AAJ HAI MAHFIL DEED KE QAABIL

आज है महफ़िल दीद के क़ाबिल शमां भी है परवाना भी !
दोनों दुनिया नज़्र करेगा आज तेरा दीवाना भी !!

अक़्ल से यारी कर ली तो फिर किस किस को समझाओगे !
आओ उठायें साग़रो मीना छलकाएँ पैमाना भी !!

याद बस वही आया हमको तुम बसते हो जिसके दिल में !
तुमने जिसको याद   रखा भूल गया दीवाना भी !!

एक ये सर कि उन क़दमों से अलग नहीं हो पाता है !
और कभी दिल भूल पाया संगे दरे जानाना भी !

एक ये दिल और उसकी दुनिया फ़र्श से आला अर्श से बेहतर !
उस कूचे पे कर दूँ निछावर काबा भी बुतख़ाना भी !!

~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'

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