ROOH-E-SHAYARI


1
निकलता हुआ सूरज दुआ दे आपको
खिलता हुआ फूल खुशबू दे आपको
हम तो कुछ देने के काबिल नहीं
खुदा हजार खुशियां दे आपको
2

हो के मायूस ना आँगन से उखाड़ो पौधे।
अब्र आये हैं तो बारिश भी यक़ीनन होगी।।
- अरुण सरकारी
3
आ जाओ सुनो फिर तुम्हीं इंसाफ़ भी करो,
करनी  है हमें तुमसे तुम्हारी शिकायतें !
- असद अजमेरी
4
रख सको तो एक निशानी हैं हम !
भूल जाओ तो एक कहानी हैं हम !!
ख़ुशी की धूप हो या ग़म के बादल !
दोनों में जो बरसे वो पानी हैं हम !!
5
ना कोई इलाज, ना टीका ना इसकी कोई दवाई है
ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है
6
बंद हो गए सारे होटल मयखाने, ना कहीं चाट ना कहीं मिठाई है
घर की दाल रोटी में रहो खुश, ये ही अब सबकी रसमलाई है
7
सुबह उठते ही तेरे जिस्म की ख़ुश्बू आई !
शायद रात भर तूने मुझे ख़्वाब में देखा है !!
8
खुदा ने सबको खूबसूरत बनाया है,
किसी को चेहरे से किसी को दिल से
9
यहाँ सब खामोश हैं, कोई आवाज़ नही करता...
सच बोलकर कोई, किसी को नाराज़ नहीं करता....
10
मुझे मेरे मुस्लिम होने पर नाज़ है!
तुझे तेरे हिन्दू होने पर नाज़ है!
लेकिन खुदा मेरा भी मुझसे नाराज़ है!
और भगवान तेरा भी तुझसे नाराज़ है!
11
गुनाह मैंने भी किए होंगे कभी,
पाप तूने भी किए हों शायद कभी,
इंसानियत को खोने की सज़ा,
शायद मालिक हमको दे रहा है! 
12
तो ख़ता मेरी भी उतनी ही है!
और ग़लती तेरी भी उतनी ही है!
आ वक्त रहते संभल जाएं और ..
इंसानियत के धर्म को अपना ले!
13
खुद को खुश रखने के तरीके खोजें,
बाकी तकलीफे तो आप को खोज ही रही है. 
14
तुझे चाहने का जुर्म ही तो किया था !
तूने तो पल पल मरने की सज़ा दे दी !!
15
भूलकर भी मुसीबत में न पड़ना कभी,
ख्वामख्वाह दोस्तों की पहचान हो जाएगी 
16
जो मुश्किलों में,किसी के नहीं होते,
वो दरअसल होकर भी नहीं होते!
17
जिनकी हॅसी बहुत खूबसूरत होती है
उनके जख्म भी कम गहरे नहीं होते है
18
मुझे तोहफ़े में अपनो का वक्त पसंद है,
लेकिन आजकल इतने मंहगे तोहफ़े देता कौन है
19
मुझसे मेरे गुनाहों का हिसाब न मांग ए  खुदा
मेरी तकदीर लिखने में कलम तेरी ही चली है
20
मैं कल को तलाशता रहा दिन भर
और शाम होते-होते मेरा आज भी चला गया
21
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर
कसूर तो उनके चेहरे का है जो सोने नहीं देते
















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