SUFI KALAM -AB KAHAN UTHKAR TUMHARE DAR SE-अब कहाँ उठकर तुम्हारे दर से कोई जाएगा !~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
AB
KAHAN UTHKAR TUMHARE DAR SE
अब कहाँ उठकर तुम्हारे दर से कोई जाएगा !
फिर कोई नज़रे करम ऎसी कहाँ फरमाएगा !!
याद रखियेगा कि बन्दा आपका मोहताज है !
बस इनायत आपकी मिलती रहे जी जाएगा !!
ज़ीदगी जितनी कटे साक़ी के क़दमो में कटे !
रिन्द मैख़ाने के बाहर दर बदर हो जाएगा !!
सामने जब से है ये साक़ी सुराही जाम-ओ-मय !
याद कुछ करते नहीं अब याद भी क्या आएगा !!
वो नज़र जो की है तुमने भूल सकती ही नहीं !
गुन तुम्हारे इस जहाँ में दिल हमेशा गाएगा !!
~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
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