ROOH E SHAYARI
सालहासाल
मुझसे वो मिलता रहा,
मेरे मन से
कभी उसका मन न मिला !
- फिरोज़ खान अल्फ़ाज़
2
मुझमें
दफ़्न हैं तेरी यादें, तेरी क़समें, और तू,
अपनी वफ़ा की
लाश का मैं आप क़ब्रिस्तान हूँ !
- फिरोज़ खान अल्फ़ाज़
3
हमारी दोस्ती के दफ़्तर में तबादले कहाँ हुज़ूर,
यहाँ जो एक
बार आया, बस यहीं रह गया !!
4
जिसकी मय्यत को दिए हों हसीनो ने
काँधे
वो बारात है
बारात, जनाज़ा क्या है
5
मुझे मेरे हिन्दू होने पर नाज़ है
तुझे तेरे
मुस्लिम होने पर नाज़ है
लेकिन राम
मेरा भी मुझसे नाराज़ है
और खुदा
तेरा भी तुझसे नाराज़ है
- अमन क़ाज़ी
6
ये सुराही सा बदन पास मेरे लेके न
आ,
मैं शराबी
हूँ, शराबी का भरोसा क्या है
7
आइने को क्या खबर इस बात की,
एक चेहरा
जिस्म के अंदर भी है !
8
ख़ुदा करे के बहुत जल्द होश आये
तुझे !
तेरा ग़ुरूर
ना लेकर के डूब जाये तुझे !!
~असद अजमेरी
9
उजड़ा उजड़ा सा हर सहर लगता है
हमें तो ये
कुदरत का कहर लगता है
इन्सान ने
की ऐसी भी क्या तर्क्की है
इन्सान को
इन्सान से ही डर लगता है
10
सीख नही पा
रहा हूँ मीठे झूठ बोलने का हुनूर!
कड़वे सच ने
हम से न जाने कितने लोग छीन लिए
11
सांसो का टूट जाना तो बहुत छोटी
सी बात है दोस्तों
जब अपने याद
करना छोड़ दे मौत तो उसे कहते हैं।
12
काश एक खवाहिश पुरी हो जाऐइबादत
केबगैर
कोई मुझे भी
चाहने लगेमेरी इजाजत केबगैर !
13
मेरी आँखें
बन चुकी हैं
भिक्षापात्र..!!
ये बस
मांगती रहती हैं
दीदार तेरा....!!!!
14
लब पे बोसा पान ले और मै खडा
देखा किया ।
ऐ कोरोना, तेरे कारण,मै पत्ते से
वदतर हो गया।
15
अपने हिस्से
के आंसू बहाकर
तेरे हिस्से
के बचा लिए
हमने सुना
है कि बहुत क़रीब के लोग
गम कुछ
ज्यादा ही दे जाते हैं
16
क्यों लुट
गया क़रार
मुझे कुछ
ख़बर नहीं,
आँखों में
उनकी झाँक के
देखा ज़रूर
था।
17
जाले लग
जाते है अक्सर,
बंद मकानों
में !!
18
आइना देख के कहते हैं सँवरने वाले,
आज बे-मौत
मरेंगे मिरे मरने वाले
- दाग़ देहलवी
19
हसीं तो और
हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा
जो दिल जलाए
बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
बशीर बद्र
20
जीने की होड़ मे मरे जा रहे थे हम
मरने का खोफ़
हुआ तो जीने लगे हम
21
ख़रीद लो दुनिया के सारे
ऐशों आराम
फिर हमें भी
ज़रा बताना सुकून के दाम कितने हैं
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