ROOH-E-SHAYARI ( AAJ KE SHER )


हुस्न के कसीदे तो गढ़ती रहेगी महफिलें ।
झुर्रियां भी प्यारी लगें तो मान लिया इश्क़ है ॥
                  2
वो मुझको छोड़ कर जिसके पास चले गए,
बराबरी का रहता तब भी सकून होता।।
3
मेरी उम्र भी लग जाए उसे
मेरा दिल लगा हुआ है जिससे
4
यू उम्र कटी दो अल्फ़ाज़ में
एक आस मेंएक काश में
5
जब टूटने लगे हौंसला तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख़्त-ओ-ताज नहीं होते,
ढूढ़ लेना अंधेरे में ही मंज़िल अपनी दोस्तों,
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।
6
बचपन साथ रखिएगा जिंदगी की शाम में
उम्र महसूस ना होगी सफर के मुकाम में
7
तुम्हे दानिश्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुजरिम हूँ ।
नज़र आख़िर नज़र है बेइरादा उठ गई होगी ।।
8
तू तो हमारा यार है !
तुझ पर हमारा प्यार है !!
9
ऐ ज़िंदगी मुश्किलों के सदा हल दे,
थक न सके हम, फुर्सत के कुछ पल दे,
दुआ यही है दिल से, कि सबका हो सुखद आज,
और उस से भी बेहतर कल दे।।                                    
10
एक उम्र हो दरकार जिस चेहरे को पढ़ने के लिए ,
चन्द लफ़्ज़ों में भला कैसे बयाँ हो जायेगा !
-वसीम साहब
11
उसने मुड़कर ना देखा तो शिकवा ही क्या
मुझ से भी तो उसे कब पुकारा गया ।
ज़िन्दगी बस में थी, ज़िन्दगी हार दी
एक तू था  जो मुझसे ना हारा गया ।
वसीम बरेलवी।।
12
शहर बसाकर,अब सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं ..
बड़े अजीब हैं लोग,हाथ मे कुल्हाड़ी लिये छाँव ढूँढते हैं.
13
अब थकन पांव की जंजीर बनी जाती है,
राह का खौफ ये कहता है कि चलते रहिए !
- मेराज फैजाबादी
14
हमने देखा है उन्हें  यादोँ से दामन भिगोते हुए,
जो कहते हैं हमें किसी की ज़रूरत नही है..
15
और सब कुछ है ज़िन्दगी में बस,
इक ज़िन्दगी की कमी खटकती है !!
16
मधुशाला नए रूप में
लॉक डाउन की मधुशाला
==
कोई मांग रहा था देशी,
और कोई फॉरेन वाला।
वीर अनेकों टूट पड़े थे,
खूल चुकी थी मधुशाला।

शासन का आदेश हुआ था,
गदगद था ठेके वाला।
पहला ग्राहक देव रूप था,
अर्पित किया उसे माला।

भक्तों की लंबी थी कतारें,
भेद मिटा गोरा का
17
तेरी क़ातिल अदाओं का मैँ दीवाना हुआ !
याद किये हुए तुझको अब ज़माना हुआ !!
होश ओ हवास में बहको तो कोई बात बने !
यूं नशे में तेरा लडखडाना अब पुराना हुआ !!
18
फ़कीर-ए-इश्क़ हूँ एक ही दऱ से लगा बैठा हूँ
अगर चाहत-ए-जिस्म होती तो दऱ-दऱ पे पड़ा मिलता
19
तुम आईना क्यों देखते हो
बेरोजगार करोगे क्या मेरी आंखों को
20
ना तो अनपढ़ रहे, ना ही काबिल हुए
हम खामखा से इश्क, तेरे स्कूल में दाखिल हुए
21
तुम रोते हो मरने वालों पर.
बेबसी देखो जीने वालों की.

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