SUFI - LO CHAMKA WO ROSHAN CHEHRA-लो चमका वो रोशन चेहरा मैख़ाने में शाम हुई
लो
चमका वो रोशन चेहरा मैख़ाने में
शाम हुई,
दिल
फिर दौड़ा जाम
उठाने मस्ती फिर
बदनाम हुई !
शीश - ओ-साग़र जाम सुराही बाद-ओ
नाबे पैमाना,
मैख़ाने में कितनी दुनिया दीवानो के नाम
हुई !
एक
वो तुम कि
तुमसे ज़िन्दा सुबह तजल्ली शामे अबद ,
एक
ये हम कि
हमसे तो बस
सुबहे हुई या
शाम हुई !
जन्नत मेरी दिल
के अन्दर मेरी दुनिया मेरा दिलबर,
ऐसी
दुनिया कि यह
सारी दुनिया जिसके नाम हुई !
पाकर खो दूँ ऐसी
तजल्ली जाओ भी
तुम क्या जानोगे,
उसकी ख़ातिर मेरी तमन्ना कहाँ कहाँ बदनाम हुई !
हज़रत मंजूर आलम शाह
'कलंदर मौजशाही'
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