SUFI KALAM - AISA JO KOI YAAR KAHIN HO TO BATAUN- ऐसा जो कोई यार कहीं हो तो बताऊँ - Hazrat Manzur Alam Shah 'Kalandar 'Maujshahi'


AISA JO KOI YAAR KAHIN HO TO  BATAUN
ऐसा जो कोई यार कहीं हो तो बताऊँ
बाज़ार मे मिलता हो तो बाज़ार से लाऊं
उस शक्ल की तस्वीर बनी हो तो दिखाऊँ
तुमको जो तमन्ना हो कि  मैं भी उसे पाऊँ
इस दिल मे उतरकर उसे ढूंढो तो मिलेगा
ऐसे नहीं मिलता उसे पूजो तो मिलेगा
= = = =
वोह नूर है हर सिम्त उजाला है उसी का
सब उसके तलबगार हैं चर्चा है उसी का
ये जलवागहे नाज़ है जलवा है उसी का
परदे मे वो रहता है ये परदा है उसी का
आशिक़ बनो ये दर्द बसाओ तो मिलेगा
मिलता है मगर पहले खो आओ तो मिलेगा
= = = =
वो चाहे तो बिगड़ी हुई तक़दीर बना दे
मझधार मे हो नाव तो साहिल से लगा दे
ज़िंदा करे हर शै को उजाड़े तो बसा दे
सो जाये बहारों का मुक़द्दर तो जागा दे
ये रहमो करम उससे निबाहो तो मिलेगा
बस एक वही है उसे चाहो तो मिलेगा
~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम शाह

Comments

Popular posts from this blog

GHAZAL LYRIC- झील सी ऑंखें शोख अदाएं - शायर: जौहर कानपुरी

Ye Kahan Aa Gaye Hum_Lyric_Film Silsila_Singer Lata Ji & Amitabh ji

SUFI_ NAMAN KARU MAIN GURU CHARNAN KI_HAZRAT MANZUR ALAM SHAH