ROOH-E-SHAYARI
1
मेरे किरदार से वाक़िफ़ होने की कोशिश मत करना ।
उसे समझने मे दिल लगेगा और तुम दिमाग वाले हो ॥
2
जब कोई दिल दुखाए तो चुप रहना बेहतर
है ।
जिनहे हम जवाब नहीं देते उन्हें वक़्त
जवाब देता है ॥
Jb koi dil dukhae toh chup Raina
behtar hai
Jinhe hum jawab nahin dete unhe
waqt jwab deta hai
३
टपकती है निगाहों से, बरसती है निगाहों से /
मोहब्बत कौन कहता है की पहचानी
नहीं जाती //
४
खरीद पाऊं खुशियाँ उदास चेहरों के
लिए,
खुदा मेरे किरदार का मोल बस इतना
कर दे।
5
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो
मोहब्बत का /
कभी ख़ुद से भी पूछा है इतने हसीन
क्यूँ हो //
6
जब मयकदा छुटा तो फिर अब क्या जगह
की कैद
मस्जिद हो 'मदरसा हो 'कोई खानकाह हो '
7
कसक भी,नज़र भी,जान भी,टीस भी,दिल भी,ग़म भी,
बड़ी गुलज़ार रहती है,अकेलेपन की महफ़िल
भी..!”
8
मोहब्बत नाम है जिसका, वो ऐसी क़ैद है यारो /
की उम्रे बीत जाती है सज़ा पूरी
नहीं होती //
9
मुनासिब नहीं हर रिश्ते में
जबरदस्ती,
सागर की लहरों से सीखा है ख़ामोशी
से लौट जाना
10
कितना फर्क है एक पागल शब्द में
जमाना कहे तो गुस्सा और वो कहे तो
प्यार आता है
11
यकीन नहीं होता फिर भी कर ही लेता
हूँ
जहाँ इतने हुए एक और फरेब हो जाने
दो….
12
शुक्र है परिंदो को नहीं पता की, उनका मज़हब और
सरहदे क्या है
वरना रोज आसमान से खून की बारिश
होती ।
13
मेरी मोहब्बत ही देखनी है तो गले
लगा कर देखो !
अगर धड़कने न रुक गईं, तो मोहब्बत ठुकरा
देना !!
14
ख़ामोशी मेरा मिज़ाज भी तो हो
सकता है,
सब ने क्यों समझ लिया मेरा ग़ुरूर
इसे
15
उसकी मोहब्बत लाख छुपाई ज़माने से
मैं !
मगर आँखों में तेरे अक्स को छुपा
न सका !!
16
ज़बां ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला
देखा !
उसका इज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला
देखा !!
17
बढ़ती उम्र में इश्क हो तो अचरज
नहीं गालिब
पुरानी गेंदें ही रिवर्स स्विंग
लेती हैं
18
बस आप मुस्करा दें ,
तबीयत ख़ुश हो जाती है मेरी,
19
मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग
लड़ता हूँ
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी
है
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी
है
20
शब्दों को होठों पर रखकर दिल के
भेद ना खोलो।
मैं आंखों से ही सुन लेता हूँ , तुम आंखों से ही
बोलों।
21
हम से मिलना हो अगर तो गहराई में
आओ..
हम तो मोती हैं किनारों पर नहीं
मिलेंगे...
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