SUFI - NAAV PADI MAJHDAR नाव पड़ी मझधार जगत में मांझी हाथ बढ़ाना


नाव पड़ी मझधार जगत में मांझी हाथ बढ़ाना
लहरें हैं तूफ़ानी कितनी देखो भूल न जाना

कहाँ से आये कहाँ को जाये, ओर छोर नहीं जाना
डूब गए कितने ही इसमें,  अपना कौन ठिकाना
नाव पड़ी मझधार जगत में मांझी हाथ बढ़ाना

दिल में आस बंधी है जिनके, उनकी आस निभाना
तुम ही जानो दर्द पराया, और न कोई जाना
नाव पड़ी मझधार जगत में मांझी हाथ बढ़ाना

हम जिसके हैं उन क़दमों पर, ये सर है नज़राना
बांके छैला छैलबिहारी, देखो भूल न जाना
नाव पड़ी मझधार जगत में मांझी हाथ बढ़ाना
~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम शाह "कलंदर मौजशाही"

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