SUFI - KAANHA TUMHRI LEELA NYAARI NYARI RE HARI कान्हा तुमहरी लीला न्यारी न्यारी रे हरी-~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
AAYE BAJAYO
JAMNA TAT PAR
आए
बजायो जमना तट पर रस मे डूबी बांसुरी
कान्हा
तुमहरी लीला न्यारी न्यारी रे हरी
रंग
सलोना साँवरिया का, मतवारे नैना चमके हैं
एक
कशिश मोहक बेताबी, दिल अंदर
सीने से खिंचे है
नन्द
लला की बलइयाँ लेने, कितने गोपिन नैन जुड़े हैं
/माखन
चोर से विनती करे को-,कितने सखा कर जोड़े खड़े हैं
कान्हा
तुमहरी लीला न्यारी, न्यारी रे हरी
आए
बजायो जमना तट पर रस मे डूबी बांसुरी
न्यारे
जगत मे प्यार भरीss, ये बंसी तुम्हाssरी
जिसका
ये मन मोहित कर ले, हुईss बाsवरी
प्यार तुम्हारा
जो पा जाए, होss मतवारी
/तुम
वो दिलबर जिसकी छल बल, कितने भाग सँवारी
कान्हा
तुमहरी लीला न्यारी न्यारी रे हरी
आए
बजायो जमना तट पर रस मे डूबी बांसुरी
~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
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