AISI KIRPA AGAR NAHI HOTI ऐसी किरपा अगर नहीं होती !-~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम “कलंदर मौजशाही ”
AISI KIRPA AGAR NAHI HOTI
ऐसी
किरपा अगर नहीं होती !
दाता
मेरे गुज़र नहीं होती !!
तुमसे
कुछ क्या कहें सिवा इसके
बिन
तुम्हारे बस नहीं होती !!
जी
गए वो नज़र हुई वरना !
जी
न पाते अगर नहीं होती !!
तुमको
पाया तो ज़िंदगी पाई !
वरना
ऐसे बसर नहीं होती !
हम
भी देखेंगे यार वो जलवा !
जिसके
शब की सहर नहीं होती !!
~ हज़रत शाह मंज़ूर आलम “कलंदर मौजशाही ”
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