ROOH-E-SHAYARI

1
बुरा न मानो तो मैं तुमसे एक बात कहूं,
मुझे तुम्हारी ज़रूरत है ज़िंदगी के लिए
2

तुम नहीं लगा पाओगे अंदाजा हमारी तबाही का
तुमने देखा ही कहां है मुझे शाम होने के बाद
3
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
4
सहमी है शाम जागी हुई रात इन दिनों
कितने ख़राब हो गए हालात इन दिनों
~ क़मर अब्बास क़मर
5
अपने चेहरे से जाहिर है, छुपाए कैसे      
तेरी मर्जी के मुताबिक, नजर आए कैसे
6
तहजीब की मिसाल तो  गरीबों के घर पर है
 दुपट्टा फटा हुआ है, मगर सर पे है
7
रात देर तक तेरी दहलीज पर बैठी रही आंखें
 खुद ना आना था तो कोई ख्वाब ही भेज दिया होता
8
दिल को भाता है बहुत ज़ुल्फ़ों से लिपटा चेहरा।
अपने रुख़सार पे ज़ुल्फ़ों को पड़ा रहने दो।।
- अरुण सरकारी
9
तेज़ हो जाता है खुशबू का सफ़र शाम के बाद ।
फूल इस शहर में खिलते हैं मगर शाम के बाद ।
मेरे बारे में कोई कुछ भी कहे सब मन्ज़ूर ।
मुझको रहती है नही अपनी ख़बर शाम के बाद ।
- कृष्ण बिहारी नूर
10
महफिल में गले लग कर, चुपके से वो कह गये ।
दुनिया की रस्म है ये, मोहब्बत ना समझ लेना
11
सौ बार कहा दिल से, चल भूल भी जा उसको,
हर बार कहा दिल ने, तुम दिल से नहीं कहते.
12
होती तो हैं ख़ताएँ हर एक से मगर...
कुछ जानते नहीं हैं कुछ मानते नहीं. ...
13
ना हाथ थाम सके ना पकड़ सके दामन
 बड़े करीब से उठकर चला गया कोई
मीना कुमारी
14
उन्हें कामयाबी में सुकून नजर आया तो वो दौड़ते गए,
हमें सुकून में कामयाबी दिखी तो हम ठहर गए !
15
ख़्वाईशो के बोझ में  बशीर तू क्या क्या कर रहा है
इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है
बशीर बद्र
16
ये दुनियां नफ़रतों के आख़िरी स्टेज पे है,
इलाज़ इसका मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है.
17
नक़ाब अपना उठाओ  फ़ज़ा बदलने दो।
उदास दिल है बहुत अब इसे बहलने दो।।
फ़लक का नूर झुका लेगा शर्म से चेहरा।
के मेरे चाँद को छत पे ज़रा निकलने दो।।
- अरुण सरकारी
18
बाज़ आओगे न ज़ुल्मों सितम से कभी भी तुम।
हम बस इसी ख़याल में पत्थर के हो गए।।
- अरुण सरकारी
19
दर्द थम जाएगा, ज़ख़्म भर जाएगा,
वक़्त अच्छा-बुरा सब गुज़र जाएगा !
जाना चाहे अगर वो तो जाने दे तू,
वो है तेरा तो फ़िर लौटकर आएगा !
- अलफाज
20
हम उन के सितम को भी करम जान रहे हैं,
और वो हैं कि इस पर भी बुरा मान रहे हैं ।
21
आँखों से धूल हटाई ही थी कि तेरे ख़त को छूते ही,
यादों के ग़ुबार ने फिर से सब धुंधला कर दिया।

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