SUFI - AAPKI NAZRON KE GHAYAL KHWAZA DIWANE BAHUT आपकी नज़रों के घायल ख्वाज़ा दीवाने बहुत

AAPKI NAZRON KE GHAYAL KHWAZA DIWANE BAHUT


आपकी नज़रों के घायल ख्वाज़ा दीवाने बहुत ।
बस्ती बस्ती सहरा सहरा उनके अफसाने बहुत ॥

कारसाज़ी  किबरियाई  आपकी नज़रों का खेल ।
जिनके दिल अच्छे हैं उनके लब पे शुकराने बहुत ॥

सजदा करते इस ज़मीं तक क़ाफ़िले दर क़ाफ़िले ।
इश्क़ जब जिंदा था आए दिल के नज़राने बहुत ॥

तुम न समझोगे यही अर्शे बरीं का है मक़ाम ।
हमने वाइज़ से कहा आए थे समझाने बहुत ॥

किश्वरे जूदो सखा में जो गदाई कर सके ।
खुल गए उसके लिए दुनिया में मैख़ाने  बहुत ॥

- हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
( हुज़ूर साहेब )


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