ROOH-E-SHAYARI ( आज की शायरी )
1
कड़ी से कड़ी जोड़ते जाओ तो जंजीर बन जाती है
मेहनत पे मेहनत करो
तो तकदीर बन जाती है
2
पानी में अक्स देखते हैं, लहरों को ख़ता देते हैं,
ग़ैरों की ग़ल्तियों की अपनों को सज़ा देते हैं !
इंसान को इंसान तो
समझते नहीं लेकिन,
पत्थर को भी ख़ुदा तो यही लोग बना देते हैं !
- ALFAZ
3
उन्हें यह फिक्र है हरदम,नई तर्ज- ए- जफ़ा क्या है ?
हमें भी शौक है
देखें, सितम की इंतिहा क्या है ?
4
कमजोर पड़ गया है मुझसे तुम्हारा ताल्लुक
या कहीं और सिलसिला
मजबूत हो गया
5
तमाम उम्र कहाँ
कोई साथ देता
है
मैं जानता हूँ, मगर थोड़ी दूर साथ चलो
अभी तो जाग
रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
6
लफ्ज़ों के दाँत नहीं होते पर ये काट लेते हैं,
दीवारें खड़ी किये बगैर हमको बाँट देते हैं
7
जाने कौन रह गया भीगने से शहर में,
जिसके लिए लौटती है रह-रह के बारिश फिर से.
8
इत्र की महक दामन में हो या ना हो,
जज़्बात और अल्फ़ाज़ हमेशा महकदार होने चाहिए.
9
हाथ होता तो कब का छुड़ा लेते,
पकड़े बैठे हैं वो, निगाहों से हमें...
10
आह़िस्ता-आह़िस्ता बढ़ रहींचेहरे की लकीरें
शायदनादानी और तजुर्बे मेंबँटवारा हो रहा है
11
कमजोर पड़ गया है मुझसे तुम्हारा ताल्लुक
या कहीं और सिलसिला
मजबूत हो गया
12
लो खत्म हुईरंग-ऐ-गुलाल की शोखियां
चलो यारो फिरबेरंग दुनिया में लौट चले
13
मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ !
सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ !!
तेरे बारे में सुना ये है के तू सूरज है !
मैं ज़रा देर तेरे साये में आ कर देखूँ !!
- राहत इन्दौरी
14
इक रात वो गया था
जहाँ बात
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
15
कौन कहता है कि दिल सिर्फ सीने में होता है
तुझको लिखूं तो
मेरी उंगलियां भी धड़कती हैं
16
उड़ा देती है नींद कुछ जिम्मेदारियां घर की
रात में जागने वाला
हर शख्स आशिक नहीं होता
17
आँगन में जो परिन्दे हैं, खुद्दार हैं बहुत !
इक बार उड़ा दिया तो ये वापस न आएंगे !!
अपना पता बनाने से इंकार है जिन्हे !
वो लोग दूसरों का पता क्या बताएँगे !!
~ डा अख्तर नज़्मी
18
पहले मुफ्त लुटा कर इसकी आदत लगाई जाती है
इश्क हो या नशा बाद में दोनों की कीमत वसूली जाती है
19
हम बे कुसूर लोगो की देखो तो सादगी !
बैठे हैं, शर्म, सार ख़तायें
किये बग़ैर !!
~असद अजमेरी
20
कुछ तुम ख़ामोश हो कुछ हम भी रुठे हैं !
कहते हैं हम खुश हैं हम दोनों झूठें हैं !!
21
कभी टूटा नहीं दिल से तेरी याद का रिश्ता,
गुफ्तगू हो न हो ख्याल तेरा ही रहता है।
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