SUFI KALAM - AB SHAAM HO RAHI HAI CHALO MAIKADE CHALEN - HUZUR SAHAB
AB
SHAAM HO RAHI HAI CHALO MAIKADE CHALEN
अब शाम हो रही है चलो मैकदे चलें !
काली घटा उठी है चलो मैकदे चलें !!
इस प्यास की तलब है इसे और कुछ मिले !
बेचैन हो रही है चलो मैकदे चले !!
इसको उतारने का तरीका कोई नहीं !
शायद नज़र लगी है चलो मैकदे चलें !!
यूँ तो गुज़ारने को गुज़र जाएगी मगर !
किसकी यहाँ बनी है चलो मैकदे चलें !!
बादे सबा भी सुबह को निकली थी बा वज़ू !
कहती हुई गई है चलो मैकदे चलें !!
- शाह
मंज़ूर आलम "मौजशाही"
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