ROOH-E-SHAYRI ( A COOLECTION OF UNIQ SHAYARI )
1 सौ सौ उम्मीदें बंधती है , इक-इक निगाह पर , मुझको न ऐसे प्यार से देखा करे कोई । 2 देख कर दर्द किसी और का जो आह दिल से निकल जाती है । बस इतनी सी बात तो आदमी को इंसान बनाती है ॥ Paavon mein yadi jaan ho toh manzil dur nahin Dil mein yadi sthan ho toh apne dur nahin 3 सुना है ज़ख़्म कैसा भी हो भर देता है वक़्त उस को हमारा ज़ख़्म अब तक वक़्त ने कितना भरा , देखें नलिनी विभा ' नाज़ली ' 4 हर जूते का भाग्य अलग अलग होता है कभी-कभी मालिक उसका आपा खोता है , रहता पैर में , न जाने पहुंचे कब सिर तक जिसको जोर की पड़ती , केवल वो रोता होता है 5 इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता कोई समझे तो एक बात कहूँ इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं फ़िराक़ गोरखपुरी 6 मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ. एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ.. ~ Dushyant Kumar 7 जंगल जंगल ढूँढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को , कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दूरी को । म