ROOH-E-SHAYRI
1
इत्तिफ़ाक़
अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह
ख़ुद
बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह
2
तस्वीरें
लेना भी जरूरी है जिंदगी में साहब
आईने
गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते
3
कहीं
फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते
अपनी
यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है
4
बदल
दिए हैं हमने अब नाराज होने के तरीके
रूठने की बजाय बस हल्के से मुस्कुरा
देते हैं
5
तमन्नाएं
जब दिल से रुखसत हो गई,
यकीन
मानिये फुर्सत ही फुर्सत हो गई
6
दुश्मनों
ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों
ने भी क्या कमी की है
- हबीब जालिब
7
तुम
जानते हो मेरे दिल की बात ।
ख़ैर
छोड़ो अगर जानते तो मेरे होते ॥
8
मुझ
को छाँव में रखा और ख़ुद भी वो जलता रहा
मैं
ने देखा इक फ़रिश्ता बाप की परछाईं में
9
खुद
को भी कभी महसूस कर लिया करो
कुछ
रौनकें, खुद से भी हुआ करती हैं
10
आज
हम जो महके महके घूम रहे हैं
हकीकत
में वो हमारे पिता के पसीने की खुशबू है ।।
11
वक़्त
मिले तो कभी रखना कदम मेरे दिल के आंगन में
हैरान
हो जाओगे मेरे दिल में अपना मुकाम देख कर
12
गुनाह
करके कहां जाओगे गालिब
यह
जमी, यह आसमा
सब उसी का है
13
सब्र
तहजीब है मोहब्बत की साहेब
और
तुम समझते हो बेजुबां हैं हम
14
ग्रहण
तो आते जाते रहते हैं
हम
सूरज हैं ,चढ़ के चमकेंगे
15
तुम
उसे छूलो और वो तुम्हारा हो जाये
इतनी
वफा तो सिर्फ करोना के पास है
16
आंधी
चली थी कल रात इल्जामों कि,
सुबह
रिश्ता बिखरा बिखरा सा मिला ।
17
जरूरी
नहीं की काम से ही इन्सान थक जाए,
कुछ
ख्यालों का बोझ भी इन्सान को थका देता है
18
तुम्हारी
आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो.
तुम्हारा
चाहने वाला शराब पीता है.
19
मुझसे
बिछड़कर खुश रहते हो
लगता
है मेरी तरह तुम भी झूठे हो
20
मुकाम
तो वो चाहिये की जिस दिन हार भी जाऊ,
जीत
खुद आकर कहे माफ करना मजबूरी थी
21
खयाल
जिसका था मुझे ख्याल में मिला मुझे
सवाल
का जवाब भी सवाल में मिला मुझे
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