Sham-E-Dil Sha-E-Tamanna Na Jala - Shaharyaar
Sham-E-Dil
Sha-E-Tamanna Na Jala
- Shaharyaar
शम-ए-दिल
शम-ए-तमन्ना न जला मान भी जा
तेज़
आँधी है मुख़ालिफ़ है हवा मान भी जा
ऐसी
दुनिया में जुनूँ ऐसे ज़माने में वफ़ा
इस तरह
ख़ुद को तमाशा न बना मान भी जा
कब तलक
साथ तिरा देंगे ये धुँदले साए
देख
नादान न बन होश में आ मान भी जा
ज़िंदगी
में अभी ख़ुशियाँ भी हैं रानाई भी
ज़िंदगी
से अभी दामन न छुड़ा मान भी जा
शहर
फिर शहर है याँ जी तो बहल जाता है
शहर को
छोड़ के सहरा को न जा मान भी जा
~ शहरयार
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