GHAZAL- UMR KAB TAK WAFA KAREGI-उम्र कब तक वफ़ा करेगी - - अकबर इलाहाबादी
उम्र कब तक वफ़ा करेगी
उम्र कब तक वफ़ा करेगी, ज़माना कब तक ज़फ़ा करेगा !
मुझे क़यामत की हैं उम्मीदें, जो कुछ करेगा खुदा करेगा !!
फ़लक जो बर्बाद भी करेगा, बुलंद इरादे मेरे रहेंगे !
जो ख़ाक हूँगा तो ख़ाक से भी बगूला उठा करेगा !!
ख़ुदा की पाकी पुकारता हूँ, हुआ करे नाख़ुशी बुतों को !
मेरी ग़रज़ कुछ नहीं किसी से तो फिर मेरा कोई क्या करेगा !!
जहाने-फ़ानी के हश्र ही को ख़याल कर मुस्तक़िल नतीजा !
यहां तो पैहम यही तरददूद, यही तग़य्युर हुआ करेगा !!
अगरचे है दर्दो-ग़म से मुज़्तर यही है दर्दे ज़ुबाने 'अकबर' !
ये दर्द जिसने दिया है हमको, वही हमारी दवा करेगा !!
- अकबर इलाहाबादी
वफ़ा = प्रेम, निर्वाह,/ जफ़ा = घात / बगूला = अन्धड़ / पाकी = पवित्रता
ना ख़ुशी = अप्रसन्नता / जहाने-फ़ानी = नश्वर संसार
मुस्तक़िल = स्थाई / पैहम = उत्पन्न / तरददूद = चिंता /
तग़य्युर = बदलाव, परिवर्तन / अगरचे = यदि / मुज़्तर = बेचैन
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