ROOH-E-SHAYARI ( आज के बेमिसाल २१ शेर )
1
कोई समझे तो एक बात कहूँ,
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं ।
~ फ़िराक़ गोरखपुरी
2
चाटुकारिता
पास नही है, सम्मान की आस नही है...l
स्वाभिमान
को गिरवी रखे, ऐसा मेरा इतिहास नही है...ll
3
चमकी
बिजली सी पर न समझे हम
हुस्न
था या जमाल था क्या था
- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
4
इश्क़
है तो शक कैसा,
ग़र
नहीं है तो फिर हक कैसा..!!
5
लोगो
से सुना है मोहब्बत आँखों से शुरू होती है,
वो
लोग भी दिल तोड़ जाते है जो पल्खें तक नहीं उठाते ।
6
ना
लफ़्ज़ों का लहू निकला ना किताबें ही बोल पाईं
मेरे
दर्द के दो ही गवाह थे दोनों बेजुबां
निकले
7
ना लफ़्ज़ों का लहू निकला ना
किताबें ही बोल पाईं
मेरे
दर्द के दो ही गवाह थे दोनों बेजुबां
निकले
8
बैठकर साहिल पर यूं सोचता हूं आज कौन
ज़्यादा मजबूर है,
ये
किनारा, जो चल नहीं सकता या वो लहर जो ठहर नहीं सकती.
9
सूरज हूँ ज़िंदगी की चमक़ छोड़
जाऊँगा
मैं
डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊँगा
~ इक़बाल साजिद
10
मेरी
ग़रीबी ने उड़ाया है मेरी हर क़ाबिलियत का मज़ाक़
तेरी
दौलत ने तेरे हर ऐब को हुनर बना रखा है ।
11
कतारें थककर भी खामोश हैं,नज़ारे बोल रहे हैं,
नदी
बहकर भी चुप है मगर किनारे बोल रहे हैं,
ये
कैसा जलजला आया है दुनियाँ में इन दिनों,
झोंपड़ी
मेरी खड़ी है, महल उनके डोल रहे हैं!!
12
कितनी सुन्दर बात बताते है ये
बरसात के कीड़े,
जिन
लोगो के पंख निकल आते है वो कुछ ही दिन के मेहमान
होते है।
13
नहीं बदल सकते हैं हम खुद को औरों
के हिसाब से
एक
लिबास हमें भी दिया है खुदा ने अपने हिसाब से
14
बेहतरीन
इन्सान की पहचान उसकी जुबान से होती हैं,
वरना
अच्छी बातें तो दीवार पर भी लिखी होती हैं।
15
दिल
भी यू ठगता चला गया ,
कोई
अच्छा लगा ओर लगता चला गया !
16
उलझनों
और कश्मकश में,
उम्मीद
की ढाल लिए बैठा हूँ।
ए
जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए,
मैं
दो चाल लिए बैठा हूँ।
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का,
मिलेगी
कामयाबी, हौसला कमाल का लिए बैठा हूँ।
चल
मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक,
गिरेबान
में अपने, ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ।
ये
गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक,
मुझे
क्या फ़िक्र, मैं कश्तीया और आप जैसे दोस्त बेमिसाल लिए बैठा
हूँ!
17
कहां ख़त्म होते हैं, जिंदगी के सफर में
मंजिल
तो वहां है, जहां ख्वाहिशें थम जाएं
18
मंजिल कितनी भी कठिन हो कटती जरूर
है
वक्त
कितना भी बुरा हो बदलता जरूर है
19
बड़ी-बड़ी बातें करने वाले,
बातों में ही रह जाते हैं
और
वही हल्का सा मुस्कुराने वाले, बहुत कुछ कह
जाते हैं
20
तेरे अल्फ़ाज़ की नरमी मुझे बेचैन करती है,
कभी
तो तल्ख़ बोला कर कभी तो रुठ जाया कर ।।
जिंदगी को खुलकर जीने के लिए
एक
छोटा सा उसूल बनाए,
रोज
कुछ अच्छा याद रखें और
कुछ
बुरा भूल जाए !
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