अरे मन गुरु सुमिरन चित कर ले- हज़रत शाह मंज़ूर आलम मौजशाही


AREY MAN GURU SUMIRAN CHIT KAR LEY
अरे मन गुरु सुमिरन चित कर ले
प्रेम पियाला पी ले साधू
राह पिया की धर ले
अरे मन गुरु सुमरन चित कर ले

जीने से बेहतर है मरना
उसके प्रेम में मर ले
अरे मन गुरु सुमरन चित कर ले

चाँद सुरज बन रोशन होना
जोत गुरु की भर ले
आठ प्रहर ये ध्यान न टूटे
निस दिन पी पी करले
अरे मन गुरु सुमरन चित कर ले

बैरागी बन कैसा जीना
दिल का सौदा कर ले
प्रेम हात्लागी है पगले
पिय के दर्शन कर ले
अरे मन गुरु सुमिरन चित कर ले
प्रेम पियाला पी ले साधू
राह पिया की धर ले

खेल नहीं कुछ ज़िन्दा  रहना
ज़हर  को अमृत कर ले
प्रेम नगर की राह न छूटे
मन की बात ये धरले
अरे मन गुरु सुमिरन चित कर ले
जीने से बेहतर है मरना
उसके प्रेम में मर ले
अरे मन गुरु सुमरन चित कर ले

- हज़रत शाह मंज़ूर आलम मौजशाही

Comments

Popular posts from this blog

SRI YOGI ADITYANATH- CHIEF MINISTER OF UTTAR PRADESH

आतिफ आउट सिद्धू पर बैंड

Ghazal Teri Tasveer Se Baat Ki Raat Bhar- Lyric- Safalt Saroj- Singer- P...