SUFI-ए शम्मा तेरी खातिर परवाने हज़ारों हैं-~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
AYE SHAMMA TERI KHATIR
ए शम्मा तेरी खातिर परवाने हज़ारों हैं !
ये इश्क़ कम न होगा दीवाने हज़ारों हैं !!
हम कुछ नहीं कहते कि दुःख जायेगा दिल उनका !
वरना तो सुनाने को
अफ़साने हज़ारों हैं !!
जब तक न मिले तुमसे ये प्यास नही बुझती !
कहने को तो दुनिया में मयख़ाने हज़ारों हैं !!
जाने भी दे ए दुनिया क्यों उसको डराती है !
दीवाने के रहने को वीराने हज़ारों हैं !!
रहना ए सनम दिल में ये दिल है तमन्नाई !
रहने के लिए यूँ तो बुतखाने हज़ारों हैं
!!
~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'
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