SUFI - BOL CHIRAIYA BOL KI TERA RAM SAHARA - ~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'



BOL CHIRAIYA  BOL KI TERA RAM SAHARA
बोल चिरईया बोल कि तेरा राम सहारा
जपे बिना हरि नाम जगत में कहाँ गुज़ारा
.................
मांग के देखो क्या देता है
उसकी किरपा का चर्चा है
हम परजा हैं वो राजा है
सब कुछ मुर्दा वो ज़िंदा है
जपे बिना हरि नाम जगत में कहाँ गुज़ारा
बोल चिरईया बोल कि तेरा राम सहारा
.................
साहब करता है जो चाहे
जैसा वो चाहे बन जाये
उसकी नज़र अगर फिर जाये
धरती को फिर कौन बसाये
जपे बिना हरि नाम जगत में कहाँ गुज़ारा
बोल चिरईया बोल कि तेरा राम सहारा
.................
पापी मन को राम दुआरा
जैसे नदिया नाव किनारा
मन मंदिर में सिरजन हारा
दीन दयाल सदा किरपाला
जपे बिना हरि नाम जगत में कहाँ गुज़ारा
बोल चिरईया बोल कि तेरा राम सहारा
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~ हज़रत मंज़ूर  आलम शाह

'कलंदर मौजशाही'
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