HASAN QAZMI - YE SACH USKAA PATAA KOI NAHI HAI
ग़ज़ल
ये
सच उसका पता कोई नहीं है,
न
कह देना ख़ुदा कोई नहीं है !
हर
एक गोशे में बातें है उसी की,
जिसे
पहचानता कोई नहीं है !
ये
किसने ग़म दिया किसने मसर्रत,
तुम्ही
हो दूसरा कोई नहीं है !
लबों
की मुस्कराहट देखते हैं,
दिलों
में झाँकता कोई नहीं है !
मुक़द्दर
में भटकना ही लिखा है,
कहाँ
ढूंढें पता कोई नहीं है !
- हसन क़ाज़मी
Comments
Post a Comment