IS DARZA BADGUMA HAI - शकील बदायूनी
ग़ज़ल - शकील बदायूनी
IS
DARZA BADGUMA HAI
इस दर्जा बदगुमा है खुलूसे-बशर से हम,
अपनों को देखते हैं पराई नज़र से हम !
वो मिल गए तो अपना ही धोका हुआ हमे,
आईना आज देख के निकले थे घर से हम !
गुंचों से प्यार करके ये इज़्ज़त मिली हमे,
चूमे कदम बहार ने गुज़रे जिधर से हम !
वल्लाह तुझसे तर्के-ताल्लुक के बाद भी,
अक्सर गुज़र गए हैं, तेरी रह गुज़र से हम !
उक्बा मे भी मिलेगी यही ज़िंदगी शकील,
मार्कर भी घुट न पाएंगे, इस दर्दे-सर से हम !
- शकील बदायूनी
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