ग़ज़ल = मेरे ग़म की शिद्दतें न पूछ, पत्थरों के दिल पिघल गए ! - HASAN QAZMI




HASAN  KAZMI - MERE GHAM KI SHIDDATEN NA POOCH

ग़ज़ल

मेरे ग़म की शिद्दतें न पूछ,
पत्थरों के दिल पिघल गए !

उनको बाग़बाँ कहा गया,
जो कली कली  मसल गए !

उनकी ज़िंदगी संवर गई,
तेरे दर पे जो मचल गए !

उनको गुनगुनाऊँ मैं हसन,
बन के जो मेरी ग़ज़ल गये !

~ हसन काज़मी

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