SUFI - ए जुनूं हो मुबारक़ ये आवारगी - ~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'


AYE JUNU HO MUBARAQ

जुनूं हो मुबारक़ ये आवारगी !
राहे उल्फ़त में कोई दीवाना तो है !!
ऐसी वीरान दुनियां में ज़िंदगी !
तेरे जीने का कोई ठिकाना तो है !!   

और क़ाबा कहाँ उस गली के सिवा !
उनका दर अपना सर अपना सर उनका दर !!
उनका दर जो मिला तो मुक़द्दर खुला !
हम ग़रीबों का कोई ठिकाना तो है  !!

तेरी नज़रें करम नाज़िशें सद इरम !
दिलबरा जानेमन मेरा वजहे सुकूं !!
ज़िंदगी में मेरी और कुछ भी नहीं !
एक तेरे सिवा इंतना जाना तो है !!

मैकशी शर्त है इश्क़ में अव्वलीं,
बेपिये काम का कोई बनता नहीं !
मैकदा है सलामत सुराही उठा,
दिल में हो गर  तेरे उनको पाना तो है !!

आँख क्या देखती उनकी जलवागरी,
अर्श से फ़र्श तक रोशनी रोशनी,
नूर ही नूर है आदमी क्या कहें,
ज़िंदगी बख़्श दे एक ठिकाना तो है !!

 ~ हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'

Comments

Popular posts from this blog

SRI YOGI ADITYANATH- CHIEF MINISTER OF UTTAR PRADESH

आतिफ आउट सिद्धू पर बैंड

Ghazal Teri Tasveer Se Baat Ki Raat Bhar- Lyric- Safalt Saroj- Singer- P...